हिंदी कविता - रामराज
है देश में अब रामराज,
फिर हाहाकार क्यों है।
हो रहा चारों ओर विकास,
फिर सब ज्यों का त्यों क्यों है।
सफाई अभियान चल रहा जोरों पर,
जगह-जगह फिर कचरे का घर क्यों है।
आसमान छू रहे तेल के दाम,
फिर किसान का माल सस्ता क्यों है।
हर माल बिकेगा जीएसटी पर,
तेल में फिर फेल जीएसटी क्यों है।
बड़के उद्योगपति तो बढ़ रहे,
फिर छुटकों का धंधा गोल क्यों है।
मिट गया अगर सब भ्रष्टाचार,
ये राफेल का फिर खेल क्यों है।
नित नए हो रहे सृजित रोज़गार,
फिर देश का युवा बेरोज़गार क्यों है।
भूपेंद्र पथरिया
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